दुनिया मां नइये कखरो ठिकाना –
मनखे ठाढ सुखावत हे राम, मनखे ठाढ सुखावत हे राम।
झन पूछ भइया हाले हवाल
मारिस ढलत्ती येसो दुकाल
पथरा होगे जिहाँ पछीना धुर्रा फकत उडा़वत हे राम।
का पुन्नी का फागुन तिहार
आठों पहर दिखै मुंधियार
धरम इमान ह देखते देखत गजट बरोबर चिरावत हे राम।
आँही बाँही नइये चिन्हार
जतका दिखथे सबो लचार
फोकट के धमकी-चमकी देथे, पागी पटुका नंगावत हे राम।
– नारायण लाल परमार